दुर्घटना योजना - Sharmik card
हिताधिकारी की सामान्य अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने की दशा में सहायता योजना 2014
योजना के लाभ हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की सामान्य मृत्यु अथवा दुर्घटना में (मृत्यु या घायल होने की दशा में) निम्नानुसार सहायता राशि दी जावेगीः-
(1)दुर्घटना में मृत्यु होने पर रु. 5,00,000/-
(2)दुर्घटना में स्थायी पूर्ण अपंगता होने पर रु. 3,00,000/- स्थायी पूर्ण अपंगता से तात्पर्य दुर्घटना में दो आंख या दोनों हाथ या दोनों पांव के अक्षम होने से है।
(3)दुर्घटना में आंशिक स्थायी अपंगता होने पर रु. 1,00,000/- स्थायी आंशिक अपंगता से तात्पर्य एक आंख एक हाथ या एक पांव अक्षम होने से है।
(4)दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल होने पर रु0 20,000/- तक दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल होने से तात्पर्य हिताधिकारी के कम से कम 5 दिन तक अस्पताल में अन्तरंग रोगी के रुप में भर्ती रहने से है। गंभीर रुप से घायल होने का निर्धारण मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के आधार पर किया जावेगा। हड्डी टूटने की दशा में भर्ती होना आवश्क नहीं है केवल चिकित्सक दवारा कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र ही पर्याप्त है
(5)दुर्घटना में साधारण रुप से घायल होने पर रु0 5000/- तक साधारण रुप से घायल होने से तात्पर्य 5 दिवस से कम अवधि तक अस्पताल में अन्तरंग रोगी के रुप में भर्ती होने से है।
(6)हड्डी टूटने पर 2000 रु कम से कम 3 दिन तक कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र देय है
(7)हड्डी टूटने पर 4000रु 4 -7 दिन तक कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र देय है
(8)हड्डी टूटने पर 8000 रु 8 -14 दिन तक कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र देय है
(9)हड्डी टूटने पर 12000 रु 15 -21 दिन तक कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र देय है
(10)हड्डी टूटने पर 15000 रु 22 -29 दिन तक कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र देय है
(11)हड्डी टूटने पर 20000 रु 30 दिन या इससे अधिक कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र देय है
(12)निर्माण श्रमिक की सामान्य मृत्यु होने पर 2,00000/-
आवेदन प्रिक्रिया
(1) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की मृत्यु होने पर उसके नामिति/उत्तराधिकारी एवं घायल होने पर स्वयं हिताधिकारी संबंधित जिला श्रम कार्यालय में आवेदन (संलग्न प्रारुप) करेगा।
(2) (a)हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की मृत्यु होने पर उसके नामिंत/उत्तराधिकारी को 10,000/-रु0 की अन्त्येष्टि सहायता आवेदन करने की दिनांक से 7 दिवस में दी जावेगी। यह राषि हिताधिकारी के आश्रित/नामिति को क्षतिपूर्ति के रूप मे दी जाने वाली राषि में से ही देय होगी। मृत्युु के उपरान्त संपन्न होने वाले सामाजिक रीतिरिवाजो एवं स्थानीय प्रथाओं के प्रति परिवार को जागरूक बनाए जाने को दृष्टिगत रखते हुए परिवार की परिस्थितियों पर विचार किया जाकर दुर्घटना में मृत्यु की दषा में देय क्षतिपूर्ति राषि को एफडी मे जमा करवाये जाने के बारे में श्रम विभाग के जिलास्तरीय कार्यालय मे पदस्थपित उच्चतम अधिकारी द्वारा विचार किया जायेगा। (b)मृत्यु की दषा में सहायता राषि जिस आश्रित/नामांकित व्यक्ति को देय है, उसके द्वारा इस आषय का एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करना होगा कि प्राप्त राषि का उपयोग मृतक हिताधिकारी के सभी आश्रितों के हितार्थ किया जावेगा।
(3)हिताधिकारी के घायल होने पर सहायता राशि हिताधिकारी द्वारा आवेदन करने पर आवेदन की पूर्तियां सही पाए जाने पर 7 दिवस में स्वीकृत कर दी जायेगी।
(4)हिताधिकारी की मृत्यु होने की दषा में सहायता प्राप्ति हेतु आवेदन मृत्य की तिथि से अधिकतम एक वर्ष की अवधि में स्वीकार्य होंगे। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।
(5)हिताधिकारी द्वारा दुर्घटना में घायल होने की दषा में सहायता प्राप्ति हेतु आवेदन दुर्घटना तिथि या अस्पताल से डिस्चार्ज होने की तिथि से अधिकतम 6 माह में किया जा सकेगा। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।
(6)हिताधिकारी की मृत्यु की दषा में, नियमित अंषदान जमा कराने की निर्धारित एक वर्ष की समय सीमा से 90 दिन तक का विलम्ब होने तक, योजना की अन्य शर्तें पूरी होने पर सहायता दी जा सकेगी। यह षिथिलता भूतलक्षी प्रभाव से अर्थात् योजना प्रारंभ होने की तिथि से, ऐसे मामलों में भी लागू होगी, जिनमेें आवेदन अंषदान जमा नहीं होने के कारण अस्वीकृत कर दिये गये हैं अथवा विचाराधीन है। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा जोडा गया)।
योजना की पात्रता
(1) 18 से 60 वर्ष की उम्र के निर्माण श्रमिक इस योजना के लिए पात्र होगें।
(2) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक जिनका धारा 12 के अन्तर्गत मण्डल में पंजीयन हो चुका है और जो अपना अंशदान नियमित रुप से जमा करवा रहे है। हिताधिकारी की मृत्यु की दषा में, नियमित अंषदान जमा कराने की समय-सीमा में 3 माह की शिथिलता होगी। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।
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Mahesh Kumar
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